Truth

They who have faith in the Buddha have faith in the best, and for those who have faith in the best the result is the best.

ईश्वर में विश्वास व्यर्थ है।

1.इस संसार को किसने पैदा किया, यह एक सामान्य प्रश्न है। इस दुनिया को ईश्वर ने बनाया , यह इस प्रश्न का वैसा ही सामान्य उत्तर है।

2.ब्राह्मण योजना में इस सृष्टी का रचयिता के कई नाम है-प्रजापति, ईश्वर, ब्रह्मा या महाब्रह्म।

3.यदि पूछा जाये की यह ईश्वर कौन है और यह कैसे अस्तित्व में आया तो इस प्रश्नो का कोई ऊत्तर नहीं।

4.जो लोग ईश्वर में विश्वास रखते है वे उसे सर्व शक्तिमान ,सर्व व्यापक तथा सर्वान्तर्यामी (सर्वज्ञ) कहते है।

5.ईश्वर में कुछ नैतिक गुण भी बताये जाते है। ईश्वर को शिव(भला)कहा गया है, ईश्वर को दयालु कहा जाता है।

6.प्रश्न पैदा होता है की क्या तथागत बुद्ध ने ईश्वर को सृष्टि का कर्ता(रचयिता) स्वीकार किया है।

7. उत्तर है "नहीं" उन्होंने स्वीकार नहीं किया।

8.इसके अनेक कारन है की तथागत बुद्ध ने ईश्वर के अस्तित्व के सिद्धान्त को अस्वीकार कर दिया।

9.किसी ने कभी ईश्वर को नहीं देखा। लोग खाली उसकी चर्चा करते है।

10.ईश्वर अज्ञात है 'अदृश्य' है।

11.कोई यहाँ सिद्ध नहीं कर सकता की ,इस संसार को ईश्वर ने बनाया है। इस संसार का विकास हुआ है ,निर्माण नहीं हुआ।

12.इसलिए 'ईश्वर' में विश्वास करने से कोनसा लाभ हो सकता है? ईससे कोई लाभ नहीं।

13. विज्ञान ईश्वर को नहीं मानता। बुद्धा ने हमें सारी बाते वैज्ञानिक ढंग से सिखाई है। और विज्ञान भी बुद्धा की सारी बातो से सहमत है। हमें गर्व है की बुद्ध जैसा महान् इंसान हमारे भारत में पैदा हुआ और उनके ज्ञान का प्रकाश सारी दुनिया में फैला।

जय भीम जय बुद्ध जय भारत जय विज्ञान।

Krishabh Rangare.


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