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Showing posts from July, 2018

Vipassana(Buddhist) Meditation In Hindi.

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विपस्सना कैसे की जाती है? विपस्सना मनुष्य-जाति के इतिहास का सर्वाधिक महत्वपूर्ण ध्यान-प्रयोग है। जितने व्यक्ति विपस्सना से बुद्धत्व को उपलब्ध हुए उतने किसी और विधि से कभी नहीं। विपस्सना अपूर्व है! विपस्सना शब्द का अर्थ होता है: देखना, लौटकर देखना। बुद्ध कहते थे: इहि पस्सिको, आओ और देखो! बुद्ध किसी धारणा का आग्रह नहीं रखते। बुद्ध के मार्ग पर चलने के लिए ईश्वर को मानना न मानना, आत्मा को मानना न मानना आवश्यक नहीं है। बुद्ध का धर्म अकेला धर्म है इस पृथ्वी पर जिसमें मान्यता,पूर्वाग्रह, विश्वास इत्यादि की कोई भी आवश्यकता नहीं है। बुद्ध का धर्म अकेला वैज्ञानिक धर्म है। बुद्ध कहते: आओ और देख लो। मानने की जरूरत नहीं है। देखो, फिर मान लेना। और जिसने देख लिया, उसे मानना थोड़े ही पड़ता है; मान ही लेना पड़ता है। और बुद्ध के देखने की जो प्रक्रिया थी, दिखाने की जो प्रक्रिया थी, उसका नाम है विपस्सना।विपस्सना बड़ा सीधा-सरल प्रयोग है। अपनी आती-जाती श्वास के प्रति साक्षीभाव। श्वास जीवन है। श्वास से ही तुम्हारी आत्मा और तुम्हारी देह जुड़ी है। श्वास सेतु है। इस पार देह है, उस पार चैतन्य है, मध्य में श्व

ध्यान साधना क्या है।

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ध्यान साधना लाभकारी मनोदशाएं विकसित करने की एक पद्धति है। इसके लिए हम कुछ निश्चित मनोदशाओं को उस समय तक बार-बार विकसित करने का अभ्यास करते हैं जब तक कि हम वैसा करने के अभ्यस्त न हो जाएं। शारीरिक स्तर पर ऐसा पाया गया है कि ध्यान साधना से दरअसल नए स्नायुमार्गों का विकसित होते हैं। ध्यान साधना से लाभ ध्यान साधना के अभ्यास से हम विभिन्न प्रकार की लाभकारी मनोदशाओं को विकसित कर सकते हैं: तनाव से मुक्ति और थकान से राहत ध्यान केंद्रित करने की बेहतर क्षमता और अन्यमनस्कता पर नियंत्रण शांतचित्तता, निरंतर चिंताओं से मुक्ति स्वयं अपने और अपने जीवन तथा दूसरों के बारे में बेहतर बोध प्रेम तथा करुणा जैसे सकारात्मक मनोभावों में वृद्धि हममें से अधिकांश लोग चाहते हैं कि हमारा चित्त शांत, निर्मल और अधिक प्रसन्न हो। यदि हम तनाव में हों या हमारी मनोदशा नकारात्मक हो तो हमें दुख होता है। हमारे स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और यह स्थिति हमारे कैरियर, पारिवारिक जीवन और मित्रता के सम्बंधों को नष्ट कर सकती है। जब हम अपने जीवन में तनाव और उससे उत्पन्न होने वाले चिड़चिड़ेपन से ऊब जाते हैं

Buddha's Dhamma

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बुद्ध के ‘धम्म‘ की परिभाषा हिदू धर्म , इस्लाम धर्म और ईसाई और यहूदी आदि धर्मों से बिलकुल अलग है ।अन्य  धर्मों  की तरह को बुद्ध विचारधारा को धर्म नही कहते अपितु ‘धम्म‘ कहते हैं  । धर्म या मजहब से बुद्ध का कोई लेना देना नही ।धम्म से बुद्ध का अर्थ है – जीवन का शाशवत नियम ,जीवन का सनातन नियम । इससे हिंदू , मुसलमान , ईसाई का कुछ लेना देना नही । इसमें धर्म/मजहबों के झगडे का कोई संबध नही । यह तो जीवन की बुनियाद में जो नियम काम कर रहा है , एस धम्मो सनंतनो, वह जो शशवत नियम है , बुद्ध उसकी बात करते हैं । और जब बुद्ध कहते हैं : धम्म  की शरण मे जाओ , तो वे यह नही कहते कि किस धर्म की शरण मे । बुद्ध कहते हैं कि धम्म जीवन जीने के बहतरीन सूत्र या नियम हैं ।ये  शशवत नियम क्या है ? उस सूत्र या  नियम की शरण मे जाओ । उस नियम से विपरीत मत जाओ नही तो दुख पाओगे । ऐसा नही कि कोई परमात्मा कही बैठा है कि जो तुमको दंड देगा । कही कोई परमात्मा नही है । बुद्ध के लिये संसार एक नियम है । अस्तित्व एक नियम है । ज्ब तुम उसके विपरीत जाते हो तो विपरीत जाने के कारण ही दुख पाते हो |Click on this link-  https://amzn.to/2jP8